Switching in Computer
Network in Hindi (कंप्यूटर Network में स्विचिंग क्या है)

Switching Technology in Hindi (स्विचिंग तकनीकी क्या है)

Switching जैसे नाम से ही पता चलता है Switch करना अर्थात Direction दिखाना। Switching Data को Source से Destination तक भेजने की प्रकिया है। 
बड़े Networks मे Sender और Receiver के बीच जब कोई Data या Information भेजते है तब ये Data या Information अलग अलग मार्ग और कई Switch Terminal से होते हुए Destination तक पहुंचते है। 

इसी प्रक्रिया को Switching कहते है Switching के द्वारा Receiver को भेजा गया Receiver तक पहुंच जाता हैै।


Features of Switching Technology in Hindi (स्विचिंग तकनीकी की विशेषताएं)

1) Switching Technology का सबसे मुख्य Features Devices के बीच Data को तेजी से Transfer करने की क्षमता है जिससे Network पर भीड़ होने की समस्या नही होती साथ ही Bandwidth का भी अच्छे से Utilize हो जाता है।

2) Switching Technology का उपयोग करके आप बड़ा और जटिल नेटवर्क का निर्माण कर सकते हैं जो बड़ी मात्रा में Data को Handle कर सकता है।

3) Switching Technology बहुत ही Flexible है जो विभिन्न प्रकार के Network Topology और Communications Protocols को Support करता है।

4) Switching Technology मे यदि एक Path Fail हो जाए तब भी Data स्वत: ही अन्य Path से भेज दिया जाता है।

5) Switching Technology मे बड़े पैमाने पर Users और Devices Connect किए जा सकते है जो बड़े Network जैसे Internet के लिए बेहतर साबित होता है।

How switching technology Works in Hindi - स्विचिंग टेक्नोलॉजी कैसे कार्य करता है

Devices जैसे Computer, Printer, Server Ethernet Cable के द्वारा Switch से जुड़े रहते है। जब कोई Device Data भेजना चाहता है 

तब Data को पहले छोटे छोटे Packets मे बांटा जाता है और उस Packets को Network पर भेजा जाता है Switch उस Packets को प्राप्त करता है तथा Destination Address को पहचान कर उस Address से संबंधित Device को भेजता है।

Categories of Switching in Hindi (स्विचिंग की श्रेणियां)

Switching को दो Categories मे बांटा जा सकता है
1) Connectionless Switching
2) Connection Oriented Switching

Connectionless Switching(कनेक्शनलेस स्विचिंग)

इसमे Packets को Sender तथा Receiver के बीच भेजने के पहले कोई भी Connection नही बनाया जाता अत: Packets स्वतंत्र रुप से किसी भी Network Route के द्वारा Destination तक पहुंचता है।


Connection Orientated Switching (कनेक्शन आधारित स्विचिंग)

इसमे Data Packets भेजने से पहले Sender तथा Receiver के बीच एक Predefined Path या Circuit बनाया जाता है और उसी Paths का अनुसरण कर सारे Packets Destination तक पहुंचते है।

Types of Switching Techniques in Hindi (स्विचिंग तकनीक के प्रकार)

Network में तीन प्रकार की स्विचिंग तकनीकों का उपयोग किया जाता है
1) Circuit Switching
2) Message Switching
3) Packet Switching

Circuit Switching in Hindi (सर्किट स्विचिंग)


Circuit Switching जैसे नाम से ही पता चल रहा है कि जब एक Device दुसरे Device से संवाद करना चाहते तब उनके बीच एक Circuit बन जाता है। 

दुसरे शब्दों में कहें तो एक समर्पित मार्ग जिसके माध्यम से दोनों Devices आपस मे Data या Information का आदान प्रदान कर सकते है।

इस Circuit का Use कोई अन्य Device नही कर पायेगा परन्तु केवल वही करेगा जो Device इस Circuit या Dedicated Path से जुड़े है। Telephone Communication जिसमे सामान्य Voice Call किया जाता है।

इसका एक अच्छा उदाहरण है इसमें Telephone Service Provider की जिम्मेदारी रहती है की दोनों की बीच Communication के द्वारा Connection बाधित न हो। 

Message Switching in Hindi (मैसेज स्विचिंग)


जब Message Switching का प्रयोग Data Communication मे किया जाता है तब इसमे Circuit Switching के समान दो Devices को Communicate करने के लिए किसी भी Dedicated Path या Circuit की आवश्यकता नही होती और न ही Packet Switching के समान Message को Packets में बांटा जाता है।

अपितु पूरा Message एक Device से अगले Switching Node मे भेज दिया जाता है वह Switching Node उस Message को अपने Device मे Store कर लेता है और जब अगला Node उस Message को लेने हेतु तैयार होता तो उसे उस Message को भेजा जाता है।

यह प्रक्रिया उस समय तक चलती रहती है जब तक वह अपने Destination Device तक न पहुंच जाए चुकी इस मे Message को Store तथा Forward किया जाता है। इसलिए Message Switching  काफी Slow होता है  Email भेजने मे इसी Switching का प्रयोग करते है।

Packet Switching in Hindi(पैकेट स्विचिंग)


Packet Switching जैसे नाम से ही पता चल रहा है की इसमे Message को छोटे छोटे Packets मे Divide किया जाता है जो पूरे Network मे अलग अलग Route या मार्ग का प्रयोग करके अपने Destination तक पहुंच जाते है।
इसमे प्रत्येक Packet मे Source तथा Destination Address, अगले Node का Address तथा अन्य सूचनाएं होती है। इसमें प्रत्येक Packet को एक Sequence Number दिया जाता है जिसका प्रयोग इन्हें Destination Address मे पूरे Message मे बदलने मे किया जाता है। 

जिस क्रम मे Packets को भेजा जाता है जरूरी नही है कि वे उसी क्रम मे अपने Destination Address मे पहुंचे जब सारे Packets पहुंच जाते है तब उसके Sequence Number के आधार पर उसे Message मे बदल दिया जाता है।

चूकि ये Packets छोटे Size के होते है और अलग अलग Route से जाते है इसलिए जिस Route से जाते है उस पर ज्यादा Load नही होता साथ Swich Node की Internal Memory पर भी Packets का ज्यादा Load नही पड़ता है।

ये दो प्रकार के होते है
a) Datagram Packet Switching
b) Virtual Circuit Switching

Datagram Packet Switching(डाटाग्राम पैकेट स्विचिंग)

इसमे Message को  Packets मे Divide किया जाता है तथा Source और Destination Address Packet Header मे होते  है चुकी ये Packets स्वतंत्र रूप से अलग अलग मार्ग से अपने Destination तक पहुंचते है इसलिए इसमें Packets के खो जाने का डर रहता है। 


Virtual Circuit Packet Switching in Hindi (वर्चुअल Circuit पैकेट स्विचिंग)

इसमे Circuit Switching के समान  पहले से Sender तथा Receiver के बीच एक Connection या Circuit बनाया जाता है और उसी Circuit या Path मे सारे Packets एक क्रम मे भेजे जाते है।

इसमें Packets के खो जाने का डर कम रहता Virtual Circuit Packet Switching मे Circuit  तथा Packet Switching दोनो के गुण होते है अर्थात Message Packets के रूप मे रहते है और Sender तथा Receiver के बीच Packets Circuit मे Flow होते है। 

Advantage of Packet Switching in Hindi(पैकेट स्विचिंग के फायदे)

1) अलग अलग Speed वाले Devices इस Switching Technology मे आसानी से Communicate कर सकते है।

2) इसमे Devices के Communication हेतु बहुत सारे Path होते हैं यदि एक Line Fail हो जाए तो भी तो Communication बाधित नहीं होती।

3) सम्पूर्ण Channel मे Bandwidth सही तरीके से उपयोग किए जाते है।

Disadvantage of Packet Switching in Hindi (पैकेट स्विचिंग के नुकसान)

1) Packet Switching का शुरूवाती Configuration काफी खर्चीला होता है।
2) इसमें पैकेट खो जाने पर Sender को पुनः Packet भेजने होते है

Advantage of Circuit Switching in Hindi (सर्किट स्विचिंग के फायदे)

1) इसमे Data Communication के लिए Dedicated Line का Use करते है और उसी Line से Data Transmit होती है इसलिए इसमें Communication की गुणवत्ता मे वृद्धि होती है।

2) यह Switching उस समय ज्यादा फायदेमंद है जब आपको लगातर लम्बे समय तक Communication करना है

3) इसमे Data का Flow Rate स्थिर रहता है तथा स्थिर Bandwidth का प्रयोग किया जाता है।

4) यह Voice Communication के लिए बेहतर है।

Disadvantage of Circuit Switching in Hindi (सर्किट स्विचिंग के नुकसान)

1) दो Devices के बीच Physical Connection बनाने हेतु समय लेता है।

2) इसमे Communication हेतु Dedicated Line का Use किया जाता है और जब वह Connection Free रहता है अर्थात उसका Use नही हो रहा है तो भी अन्य Devices इसका Use Data Transmit करने के लिए नही कर सकता।

3) यदि इस Dedicated Line मे Data Transmit नही हों रहा है तब भी उस Line को तब तक Maintain रखना है जब तक User द्वारा उस Connection को समाप्त न कर दिया जाए अतः इससे Link क्षमता का नुकसान होता है।

4) यह काफी खर्चीला होता है।

5) इसे Voice Communication हेतु बनाया गया है अतः यह Data Transmission हेतु Suitable नही है।

Advantage of Message Switching in Hindi (मैसेज स्विचिंग के फायदे)

1) इस Technology मे Message को Node मे Store करते है और जब Network Free हो जाता है तब अगले Node मे Forward करते है जिससे Network पर भीड़ या Load नही पड़ता।

2) इसमे कई Devices एक Chanel का उपयोग Message Sharing हेतु करते है इसलिए इसमें Bandwidth का अच्छे से Use किया जाता है।

3) Message कितनी ही बड़ी Size का हो उसे आसानी से भेजा जा सकता है।

4) Message Switching में पूरे Message Transmit होते है इसलिए इसमें Packet Switching के समान Packets के Order और Packets के खो जाने संबंधित अतिरिक्त चिन्ता नही  रहती।

Disadvantage of Message Switching in Hindi(मैसेज स्विचिंग के नुकसान)

1) जब एक Switch Node मे असीमित Size का Message Store किया जाता है तब अगले Node की Storage Capacity भी ज्यादा होनी चाहिए।

2) इस में Message एक Switch Node मे Store तथा अगला Node Free होने पर उसमें Forward किया जाता है जो समय लेने वाला प्रक्रिया है।

3) Message को Store तथा Forward करने की यह तकनीक अधिक Switch Devices के Storage की मांग करती है।

4) यह तकनीक जटिल होने के कारण User Message के पहुंचने या न पहुंचने के विषय में जान नही पाता।

Difference between Circuit Switching ,Message Switching और Packet Switching in Hindi 

1) 

Circuit Switching मे Sender तथा Receiver के बीच एक Physical Connection स्थापित किया जाता है

Message Switching तथा Packet Switching मे Sender तथा Receiver के बीच पहले से कोई Physical Path Set नही किया जाता

2)

Circuit Switching मे सभी Packets एक ही Dedicated Path से भेजे जाते है

Message Switching मे Packets को  Node मे Store  तथा अगले Node मे Forward किया जाता है

Packet Switching मे Packets स्वतंत्र रुप से अलग अलग रास्तो से भेजे जाते है।

3)
Circuit Switching मे Bandwidth का काफी नुकसान होता है अगर Dedicated Line Free है तो

Message Switching तथा Packet Switching मे Circuit Switching के समान Bandwidth का नुकसान नहीं होता है।

4) 
Circuit Switching store तथा forward transmission का समर्थन नहीं करता है

Message Switching तथा Packet Switching दोनो store तथा forward transmission को Support करता है।
 
5) 
Circuit Switching तथा Message Switching मे Packets एक क्रम से पहुंचते है।

Packet Switching मे Packets किसी भी Order मे Destination तक पहुंचते है इसलिए प्रत्येक Packet को Sequence number दिया जाता है।
 
6)
Circuit Switching खर्चीला होता है

Message Switching तथा Packet Switching Circuit Switching की अपेक्षा कम खर्चीला होते है।