What is Accounting in Hindi

Business मे होने वाले लेनदेन या वित्तीय सूचनाओं को क्रमबद्ध तरीके से संग्रहण करना, वर्गीकृत करना, तथा उसका सारांश तैयार करना Accounting (लेखांकन) कहलाता है।

Advantage of Accounting in Hindi

1) सीमित स्मरण क्षमता होने के कारण मनुष्य Business सम्बन्धित लेनदेन का याद नही कर सकता अतः Accounting उसके लिए बहुत ही सहायकप्रद है।

2) Accounting Business के Management जैसे Planning, Decision Making, Controlling के लिए सहायक है।

3) यह Complete तथा Systematic Records प्रदान करता है।

4) इसमे Profit तथा Loss सम्बन्धित
 जानकारी मिलती है।

5) Business के Financial Position की जानकारी मिलती है।

6) Debtors तथा Creditors के बारे मे जानकारी मिलती है।

7) अन्तिम Stock तथा अन्य सूचनाएं प्राप्त होती है।

8) वित्तीय वर्ष के अंत मे हमे Final Accounts प्राप्त होते है जिससे Business के लाभ हानि और Business की स्थिति का पता चलता है।

Accounting Terminology in Hindi

Accounting में निम्न Terminology प्रयुक्त किए जाते है।

Capital(पूंजी)

जब व्यापार का स्वामी या व्यापारी अपने व्यापार के लिए जो भी राशि या संपत्ति लगाता है उसे पूंजी कहते हैं।

Proprieter

जो व्यक्ति अपने व्यापार में पैसा Invest करता है उसे Propriter  कहते हैं।

Drawing (आहरण)

जब व्यापार का स्वामी अपने निजी प्रयोग के लिए अपने व्यापार से माल या पैसा निकालता है तो उससे आहरण कहते हैं इससे Capital मे कमी आती है।

Goods (माल)

माल उस वस्तु को कहते हैं जिसे उपयोग करने के लिए नहीं परंतु बेचने के लिए खरीदा जाता है यह कच्चा माल या निर्मित सामग्री हो सकता हैै।

Purchase (क्रय)

जब एक व्यापारी व्यापार के लिए माल खरीदता है तो उसे क्रय कहते हैं क्रय दो प्रकार के होते हैं 1) नकद क्रय 2) उधार क्रय।

Purchase Return (क्रय वापसी)

जब खरीदा हुआ माल टूटा फूटा या खराब निकले या क्रेता के निर्देशानुसार न हो उस स्थिति में माल को जब विक्रेता को वापस कर दिया जाता है तो उसे Purchase Return (क्रय वापसी) कहते है।

Sales (विक्रय)

व्यापार में व्यापारी के द्वारा जो माल बेचा जाता है उसे विक्रय कहते हैं
 यह दो प्रकार की होते हैं
1) नकद विक्रय 2) उधार विक्रय

Sales Return (विक्रय वापसी)

जब किसी ग्राहक को माल बेचा जाए और वह माल खराब निकले तब ग्राहक के द्वारा वापस किया गया वह माल विक्रय वापसी कहलाता है।

Stock (रहतिया)

जब माल किसी निश्चित तिथि या अवधि में बिना बिके रह जाए तब उस माल को उस तिथि या अवधि का Stock कहते हैं।

Assets ( संपत्तियां)

व्यापार में वे सभी संसाधन जिनकी Economic Value है Assets ( संपत्तियां) कहलाते है जिसकी सहायता से व्यापार में आर्थिक लाभ प्राप्त किया जाता है यह व्यापार को चलाने के लिए महत्वपूर्ण है।

 इनका वर्गीकरण निम्न है

Fixed Assets ( स्थायी संपत्तियां)

जिस संपत्ति का प्रयोग व्यापर के लिए लंबे समय के लिए किया जाए Fixed Assets कहलाता है
उदहारण भूमि, भवन, फर्नीचर, मशीन आदि

Current Assets/Floating Assets( स्थायी संपत्तियां, चल या परिवर्तनशील संपत्तियां)

वह संपत्ति जिसका प्रयोग 1 वर्ष के अंदर किया जाए या जिसे आसानी से Cash में बदला जा सके Current Assets कहलाता है।

उदाहरण कच्चा माल, Stock, देनदार, Cash in hand, Bank Balance आदि

Liability ( दायित्व, कर्ज)

ये राशि जो Business मे बाहर से कर्ज के रूप मे लिए जाते है Liability ( दायित्व, कर्ज) कहलाते है।

Discount(बट्टा, रियायत, उपहार)

व्यापारी द्वारा अपने Customers को दी जाने वाली छूट Discount कहलाती है ये दो प्रकार के होते हैं।

Trade Discount (व्यापारिक बट्टा)

जब ग्राहकों को उनकी खरीदारी पर व्यापारी द्वारा अंकित मूल्य पर कुछ छूट दी जाती है तो उसे व्यापारिक बट्टा कहते हैं।

Cash Discount (नकद बट्टा)

 जब व्यापारी द्वारा अपने ग्राहकों को निश्चित अवधि पर नकद या Cheque Payment पर कुछ छूट दी जाती है उसे नकद बट्टा कहते हैं।

Debtor (देनदार/ऋणी)

 जब कोई व्यक्ति, फर्म या एक संगठन किसी व्यापार से माल या सेवाएं उधार लेती है तो उन्हें Debtor कहते हैं।

Creditor (लेनदार/ऋणदाता)

जब कोई व्यक्ति, फर्म या एक संगठन माल या सेवाएं जिनसे उधार लेती है उन्हें Creditor कहते है।

Revenue

जब एक Business अपनी Goods या Services(rent, interest,commision,discount) Sell करता है और उसे जो Amounts मिलता है उसे ही Revenue कहते है।

Expenses

जब Business मे Goods के उत्पादन या Services लेने के लिए जो खर्च होते है उसे Expenses कहते है इसके अंतर्गत Wages, Advertising, Salary, Rent, Insurance आदि हो सकते है
ये दो प्रकार के होते है
1)Direct Expenses
2) Indirect Expenses

Direct Expenses

ये खर्चे माल की खरीदी और उसके उत्पादन से संबंधित होते है
जैसे Wages, Office Expenses, Carriage Inwards, Sales Tax, Excise Duty आदि।

Indirect Expenses

ये खर्चे माल को बेचने और उसे संचालित करने मे होते है
ऊपर के(Direct Expenses) के खर्चों को छोड़कर बाकि के खर्चे इसी मे आते है।

Receivables

कुल Amounts जो Business प्राप्त करता है Receivables कहलाते है।

Payables

कुल Amounts जो Business के द्वारा देना है Payables कहलाते है।

Double Entry System

Double Entry System जैसे नाम से ही पता चलता है कि प्रत्येक Transaction के दो पहलू होते है या एक सौदा दो खातों को प्रभावित करता है। 

एक खाता पाने वाला होता है जिसे Debit कहते है और दूसरा खाता देने वाला होता है जिसे Credit कहते है इसमे एक समान Amount पाने वाले के खाते मे अर्थात Debit Side तथा देने वाले के खाते मे अर्थात Credit Side लिखा जाता है।

Account

किसी व्यक्ति वस्तु संपत्ति लाभ या हानि आदि से संबंधित लेनदेन का संक्षिप्त, तिथिवार व्यवस्थित रिकॉर्ड रखने के लिए जिन पुस्तको का उपयोग करते हैं उसे खाता कहते हैं किसी भी खाते के दो पक्ष होते हैं Debit side(नाम पक्ष) तथा Credit Side(जमा पक्ष) Debit side(नाम पक्ष) बायीं तरफ तथा Credit Side(जमा पक्ष) दायीं तरफ होते है

Classification of Accounts

1) Personal Accounts
2) Real Account
3) Nominal Account

Personal Accounts(व्यक्तिगत खाता)

Personal Account किसी व्यक्ति, किसी कंपनी किसी संस्था या किसी व्यापार की स्वामी का खाता होता है जिसके अंतर्गत किसी संस्था या कंपनी में काम करने वाले प्रत्येक कर्मचारी के लिए खोले गए खाते भी आते है।

Name of Personal Accounts 
Capital A/C, Drawing A/C, Ram A/C, Company/Office A/C(Computerehub A/C), Bank A/C(SBI, PNB, HDFC आदि)

Rule:-

पाने वाले के नाम को Debit किया जाता है तथा देने वाले के नाम को Credit किया जाता है।

Real Account( वास्तविक खाते/ मूर्त खाते)

Real Account के अंतर्गत वैसे खाते शामिल होते हैं जो किसी वस्तु या संपत्ति से सम्बंधित होते है इतनी संपत्ति के प्रत्येक Category के लिए अलग अलग खाता खोला जाता है कैसे फर्नीचर, नकद, मशीनरी, Computer आदि।

Name of Real Accounts
Cash A/C, Furniture A/C,Machinary A/C, Building A/C,Land A/C, Vehicles A/C

Rule:-

जो आता है उसे Debit किया जाता है तथा जो जाता है उसे Credit किया जाता है।

Nominal Account(अवास्तविक खाते/ अमूर्त खाते/नाममात्र खाते/आय व्यय खाते)

इसमे ऐसे खाते आते हैं जो आय या व्यय से सम्बंधित होते हैं
Name of Nominal Account
Salary A/C, Interest A/C, Discount A/C, Wages A/C, Purchase A/C, Sales A/C, Insurance A/C

Rule:-

इसमे खर्च या व्यय को Debit किया जाता है तथा आय या लाभ को Credit किया जाता है।

Trial Balance

खाताबही में किसी प्रकार की गणित संबंधित गलतियां न हो इससे बचने के लिए समय समय पर खातों के Debit पक्ष और Credit पक्ष का योग निकाला जाता है इसे ही Trial Balance कहते है। जिसमे यदि Debit पक्ष का योग तथा Credit पक्ष का योग बराबर है तो हमारे खाते बही मे कोई गलती नही है।

Financial Statements (Final Accounts)

कोई Business या Industry ने कितनी प्रगति की है यदि इस बात की जानकारी चाहिए तो उनके Financial Statement को देखकर हम यह जान सकते है वास्तव मे Financial Statement Financial Year के अंत मे तैयार की जाती है
Financial Statements को दो भागो मे बांटा जा सकता है
1) Income Statement
2) Balance Sheet

Income Statement( Profit and Loss A/C)

इसे पुनः दो भागों मे बांटा गया है
a) Trading Account
इसके द्वारा आप Gross Profit या सकल लाभ और Gross Loss या सकल हानि के बारे में जानकारी मिलती है।

b) Profit and Loss Account 
यह Account हमे Business के Net Profit या शुद्ध लाभ और Net Loss शुद्ध हानि के बारे में बताता है।

Balance Sheet(Position Statement)

यदि हम जानना चाहते है कि हमारे Business में कितने Debtors (कुल देनदार), Creditors (कुल लेनदार) है या यह जानना चाहते है कि हमने Business मे जो Assets पूंजी के रूप में लगाई थी वो बढ़ा या घटा तो ये सारे प्रश्नो का उत्तर Income Statement नही दे सकता इसका उत्तर हमे Balance Sheet से ही मिलता है जो वास्तव में आपके Business की सही Position बताती है।

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