What is 3-tier Architecture in DBMS in Hindi
3-tier Architecture एक Model है जो Database system को तीन अलग विशिष्ट लेयर्स में बांटता है तथा इसके प्रत्येक Layers अलग अलग कार्य करते है।इस Architecture को मुख्य रूप से ऐसे Applications के लिए बनाया तथा डिजाइन किया गया है जो Database के साथ कार्य करते हैं।
3-tier Architecture को निम्न Layers में बांटा गया है।
1) Presentation Layer
2) Application Layer
3) Database Layer
Presentation Layer
इसी Layer में Users, Applications के साथ Interact करता है यह एक User-friendly Interface देता है ताकि Users बड़ी आसानी से Applications के साथ कार्य कर सकें।
इस Layer का प्रथम उद्देश्य User के समक्ष Data को ऐसे Format में प्रस्तुत करना है जिसे User बड़ी आसानी से पढ़ तथा समझ सकें तथा User द्वारा दिए गए Inputs को प्राप्त कर सकें।
इस Layer में Users के लिए Screen, Form, Report और Web page जैसी चीज़ें होती हैं जिसके माध्यम से Users Interact करते हैं।
इसे ऐसे Design किया गया है कि User को इसे Use करना, Data enter करना, सूचना ढूढने तथा Result को देखने में आसानी हो।
Presentation Layer, User के Request को भेजने तथा वापस सूचना को प्राप्त करने के लिए Application Layer के साथ Communicate करता है।
यह Layer Users के Input जैसे Form को submit करना, Buttons पर Click करना आदि को भेजता है अब
Application layers इन Request को Process कर Result को वापस Presentation Layer में भेज देता है तब Presentation layer उस Result को User के समक्ष प्रस्तुत करता है।
Application Layer
Application Layer, को Logic layer के नाम से भी जाना जाता है, जो कि एक Three-tier architecture का middle layer है।यहीं पर Application का मुख्य कार्य होता है। इस Layer में Rules और Logic होते हैं जिसके माध्यम से यह निर्णय लिया जाता हैं कि Data को कैसे Process करना है।
जब एक User, Presentation layer में कुछ कार्य करता है जैसे एक Form को भरना, या एक Button को Click करना तब Application Layer, User के कार्यों को Process करता है।
उदाहरण के लिए यदि एक User एक Login form, submit करता है तब Application layer किया जिम्मेदारी रहती है कि वह User के Username तथा Passwords को पहले से संग्रहित Data के आधार पर Check करें।
Check करने के बाद यदि सारी जानकारी सही है तो यह User को Login करने देता है या एक Error message दिखता है।
यह layer User interface (Presentation Layer) और Database (Database Layer) के बीच के Bridge के समान कार्य करता है।
यह दोनो Layers के बीच Communication को Manage करता है तथा यह सुनिश्चित करता है कि सही Data प्राप्त तथा Process किया जाए और वापस Display होने के लिए User interface अर्थात Presentation layer में भेजा जाए।
Database layer
Database Layer, एक Three-tier architecture का सबसे नीचे का layer है। यह Applications द्वारा Use किए जाने वाले Data को संग्रहित, प्राप्त करने और उसे प्रबन्धित करने के लिए जिम्मेदार है।इस layer में Database तथा DBMS(Database management system) शामिल है। Database संगठित Data का एक संकलन है तथा DBMS एक Software है जो Data को Organize तथा Access करने मे मदद करता है।
जब एक User, Presentation layer के द्वारा Request करता है अर्थात कुछ चीजों के लिए पूछता है
तब Application Layer उस Request को handle करता है
उसके बाद Application layer, Database layer के साथ आवश्यक Data को प्राप्त करने या उस Data को सुरक्षित करने के लिए कार्य करता है।
उदाहरण के लिए यदि User, Website पर अर्थात Presentation layer में कुछ जानकारी को Search करता है तब Application Layer, Database layer को उस सूचना ढूंढने तथा उसे वापस User के पास भेजने के लिए कहता है।
Database Layer महत्वपूर्ण है जो यह सुनिश्चित करता है कि Data को सुरक्षित ढंग से संग्रहित किया जाए तथा जल्दी से और कुशलता के साथ Access किया जाए।
यह कुछ महत्वपूर्ण कार्यों का भी ध्यान रखना है जैसे Backup के लिए Data की Copies बनाना तथा यदि कुछ हो जाए तो Data को Recover करना
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Advantages of 3-tier Architecture in Hindi
1) प्रत्येक layer अपना कार्य स्वयं करता है जिससे System को Manage करना आसान हो जाता है।2) आप अन्य Layer को प्रभावित किए बिना एक layer को Change कर सकते हैं।
3) पूरे System को Disturb किए बिना अपडेट या सुधार जैसे कार्यों को एक layer में किए जा सकते है।
4) एक ही समय में विभिन्न Teams विभिन्न Layers में कार्य कर सकते हैं।
5) एक ही समय में विभिन्न layers को विकसित किया जा सकता है।
6) ज्यादा Users या Data को संभालने के लिए आप अलग से प्रत्येक layer में ज्यादा Resources जोड़ सकते है।
7) इसे Update तथा Manage करना आसान है।
8) Database layer, Data को संग्रहित करने तथा प्राप्त करने का ध्यान रखता है।
9) Presentation layer यह सुनिश्चित करता है कि User interface हर बार एक जैसा दिखे और कार्य करें।
10) प्रत्येक layer की अपनी सुरक्षा विशेषताएं हो सकती हैं, जो System को अधिक प्रभावी ढंग से सुरक्षित रखने में मदद करती हैं।
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1) 1-tier तथा 2-tier Architecture की अपेक्षा इसे Manage करना ज्यादा कठिन है।
Disadvantages of 3-tier Architecture in Hindi
3-tier Architecture के निम्न नुकसान है।1) 1-tier तथा 2-tier Architecture की अपेक्षा इसे Manage करना ज्यादा कठिन है।
2) ज्यादा layers होने से ज्यादा Resources की जरूरत होती है जिससे यह ज्यादा महंगा पड़ता है।
3) यदि इसे सही ढंग से Setup नही किया गया है तो, layers के बीच Communication होने से System धीमा पड़ जाता है ।
4) प्रत्येक Layer को अलग से रखरखाव करने की जरूरत पड़ती है जिससे कार्य भार बढ़ जाता है।
5) 3-tier के साथ System का निर्माण करना ज्यादा समय लेने वाला हो सकता है क्योंकि यह बहुत जटिल है।
6) Developers को यह सीखने की जरूरत रहती है कि सभी Three layers कैसे कार्य करते है, जो कि समय लेने वाला हो सकता है।
7) यह अच्छे से कार्य करने के लिए मजबूत Network connection पर निर्भर करता है क्योंकि layers विभिन्न Server पर हो सकते है।
8) छोटे applications के लिए यह Setup बहुत अधिक हो सकता है जिसकी आवश्यकता नही है।
9) नए Developers के लिए इसके कार्य करने के Methods को समझना मुुश्किल हो सकता है।
10) यदि किसी एक layer में कुछ परेशानी होती है तो सारा सिस्टम अच्छे से कार्य नहीं करता
Differences between 2-tier and 3-tier architecture in Hindi
1) 2-tier:
इसमें दो layers Client और Server होते हैं।
3-tier:
इसमें तीन layers Client, Application Server, और Database होते हैं।
2) 2-tier:
इसमें Client सीधे ही Server से Communicate करता है।
3-tier:
Client, Application server से Communicate करता है तथा Application server से Database server से Communicate करता है।
3) 2-tier:
कई Users को Manage करना कठिन है।
3-tier:
बड़ी आसानी से ज्यादा Users को handle कर सकते है।
4) 2-tier:
छोटे Applications के लिए तेज है।
3-tier:
अतिरिक्त layer के कारण यह धीमा है लेकिन जटिल Application के लिए अच्छा है।
5) 2-tier:
यह कम Secure रहता है क्योंकि Client सीधे ही Database को Access करते है।
3-tier:
यह ज्यादा Secure रहता है क्योंकि डेटाबेस, Application server पीछे छुपा रहता है।
6) 2-tier:
जब कई Users होते हैं तो इसे Update करना कठिन होता है।
3-tier:
केवल Middle layer को Change करने के द्वारा इसे बड़ी आसानी से Update किया जा सकता है।
7) 2-tier:
Data सीधे ही Client और Database के बीच Move करता है।
3-tier:
Data, Application server में पहले Move करता है।
8) 2-tier:
कम लचीला है, इसमें बदलाव करने पर पूरा सिस्टम प्रभावित होता है।
3-tier:
ज्यादा लचीला है, अन्य भागों को प्रभावित किए बिना, Middle layer में बदलाव हो सकता है।
9) 2-tier:
इसका Set up आसान है क्योंकि इसके कुछ ही Parts होते हैं
3-tier:
इसका Set up कठिन है क्योंकि इसमें अतिरिक्त Middle layer हैं।
10) 2-tier:
इसका डिजाइन करना तथा निर्माण करना सरल है क्योंकि इसके दो ही भाग अर्थात Client तथा Server होते हैं
3-tier:
इसका डिजाइन करना तथा निर्माण करना कठिन है क्योंकि इसके तीन भाग Client, Application server तथा Database server होते हैं।
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