IPv4 और IPv6 क्या है और उनके बीच अन्तर क्या है
IPv4 क्या है
IPv4 (Internet Protocol version 4), computers या phones जैसे devices को addresses देने का तरीका है ताकि ये devices इंटरनेट से Connect हो सके। यह 32-bit system का उपयोग करता है जो 4.3 billion unique addresses की अनुमति देता है।एक IPv4 address, dots द्वारा अलग किए गए चार नंबरों जैसा दिखता है, जैसे कि 192.168.1.1
IPv4 addresses, Public तथा Private दोनों हो सकते हैं। चूँकि अब बहुत सारे Device ऑनलाइन हैं, इसलिए हमारे पास IPv4 addreses ख़त्म हो रहे हैं।
इसका समाधान करने के लिए यह NAT (Network Address Translation) का Use करके कई Devices एक public IP address को Share करते है।
IPv4, Data में Errors की भी जांच करता है तब भी IPv6 धीरे धीरे IPv4 को प्रतिस्थापित कर रहा है। क्योंकि IPv6 कई Addresses प्रदान करता है।
IPv6 क्या है
IPv6 (Internet Protocol version 6), Internet Protocol का नया संस्करण है जिसका उपयोग इंटरनेट में Data भेजने के लिए किया जाता है।इसका निर्माण इसलिए किया गया क्योंकि IPv4 जो कि पुराना संस्करण है का Addresses समाप्ति के कगार पर है।
IPv4 के पास 4.3 billion addresses, है जबकि IPv6 बड़ी संख्या में addresses प्रदान कर सकता है, जो दुनिया के प्रत्येक Device के लिए पर्याप्त है।
IPv6 तेज और ज्यादा सुरक्षित है। इसकी संरचना सरल है जो जल्दी से Data भेजने में मदद करता है।
IPv4 से अलग IPv6 को विशेष Tools जैसे Network Address Translation (NAT) की जरूरत नहीं है जो Devices को एक दूसरे से आसानी से जोड़ने में मदद करता है। IPv6 के पास पूर्व निर्मित security features है, जो Data की सुरक्षा के लिए सहायता प्रदान करता है।
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IP address claases कितने प्रकार के होते हैं?
Difference between IPV4 and IPV6 in Hindi - IPV4 और IPV6 में अंतर
IPV4 और IPV6 में निम्न अंतर है।
1) IPv4:
यह 32-bit address का उपयोग करता है।
IPv6:
यह 128-bit address का उपयोग करता है।
2) IPv4:
इसे संख्याओं में लिखा जाता है जैसे 192.168.1.1)
IPv6:
इसे लिखने के लिए संख्याओं और अक्षरों दोनों का उपयोग किया जाता है जैसे 2001:0db8::1
3)IPv4 :
इसके 4.3 billion addresses हैI
IPv6:
इसके और भी बहुत से addresses हैं।
इसके और भी बहुत से addresses हैं।
4) IPv4:
इसके header बहुत ज्यादा जटिल है।
IPv6:
इसके header सरल है।
5) IPv4:
इसके लिए Manual setup या DHCP की जरूरत होती है।
IPv6:
यह स्वचालित रूप से Set हो सकता है या DHCP का उपयोग करता है।
6) IPV4:
इसके security के लिए अतिरिक्त Setup की जरूरत होती है।
IPv6:
इसमें पहले से निर्मित security होती है।
7)IPv4:
यह broadcasting का उपयोग करता है।
IPv6:
यह multicast और anycast दोनों का उपयोग करता है।
8) IPv4:
इसमें routers और senders दोनो Data को छोटे भागों में तोड़ सकता है।
IPv6:
केवल sender, Data को छोटे भागों में तोड़ सकता है।
यह broadcasting का उपयोग करता है।
IPv6:
यह multicast और anycast दोनों का उपयोग करता है।
8) IPv4:
इसमें routers और senders दोनो Data को छोटे भागों में तोड़ सकता है।
IPv6:
केवल sender, Data को छोटे भागों में तोड़ सकता है।
9) IPv4:
यह addresses में Dot (.) का उपयोग करता है।
IPv6:
यह addresses में Colons (:) का उपयोग करता है।
10) IPv4:
यह mobile device के लिए अच्छा नहीं है।
IPv6:
यह mobile device के लिए बेहतर अच्छा है।
11) IPv4:
यह routing data को ज्यादा कुशल नहीं बनाता हैं।
IPv6:
यह IPv4 की तुलना में routing data को ज्यादा कुशल बनता है।
12) IPv4:
यह अक्सर NAT का उपयोग करता है क्योंकि इसके पास पर्याप्त addresses नहीं होता है।
IPv6:
इसे NAT की जरूरत नहीं है।
13) IPv4:
यह Devices को support करने के लिए सीमित है।
IPv6:
यह कई Devices को support करता है, जो Internet of Things (IoT) के लिए अच्छा है।
14) IPv4:
यह अभी भी व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है।
IPv6:
यह धीरे-धीरे उपयोग हो रहा है क्योंकि इसमें अधिक addresses हैं।
15) IPv4:
इसके पास एक header checksum होते हैं जो है header information में Errors की जांच करता है।
IPv6:
इसके पास header checksum शामिल नहीं होते है। यह Error का पता लगाने के लिए Transport layer पर निर्भर होते हैं।
IPv4 और IPv6 की आवश्यकता क्यों है
IPv4 और IPv6 दोनों प्रोटोकॉल है जिनका प्रयोग एक नेटवर्क पर Devices को Addresses देने के लिए किया जाता है। IPv4, को 1980s के दशक में विकसित किया गया जो 32-bit address का उपयोग करता है तथा 4.3 billion unique addresses को support करता है।
हालाँकि, इंटरनेट के विकास के साथ, यह addresses भी अपर्याप्त हो गया है। इस समस्या के समाधान के लिए IPv6 का विकास किया गया। यह 128-bit Addtrsses के साथ बहुत बड़ा Space प्रदान करता है, जिससे बड़ी संख्या में unique addresses
की अनुमति मिलती है।
IPv6 सुरक्षा में भी सुधार करता है और Data routing को आसान बनाता है। अतः IPv4 से IPv6 पर जाना महत्वपूर्ण है क्योंकि अधिक Devices इंटरनेट से जुड़ते हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि हर कोई जुड़ा रह सके।
IPv4 के फायदे
IPv4 के निम्न फायदे है
1) इसे set up और manage करना आसान है जो network administrator की मदद करता है।
2) यह सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला प्रोटोकॉल है, इसलिए यह अधिकांश Devices और Network के साथ काम करता है।
3) IT professionals जानते हैं कि IPv4 का उपयोग कैसे करना है
4) बहुत सारे मौजूदा हार्डवेयर और सॉफ़्टवेयर IPv4 का समर्थन करते हैं, इसलिए इसे हमेशा upgrade की आवश्यकता नहीं होती है।
5) IPv4 को कई सालो से Test किया गया है जो इसे विश्वसनीय बनाता है।
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